Vaishak Mas Me Mata Sabri Ki Katha

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📂: Thể Loại Khác

⏱: 00:00:00 AM 24/01/2025

जैस्री कृष्णा राधे राधे
प्राचीन समय से हमारे सनातन ध्रम में एक परंपरा चली आ रही है
कि बेसाग के महिने में श्नान करके
बगवान श्री हरी विश्णू, बगवान श्री कृष्ण
और बगवान श्री राम की गथाओं को पढ़ा और सुना जाता है
वहीं हूँ बहुत ही सुन्दर और पावन कथा बगवान श्री राम की परमबग सबरी की कहानी
तो सुरू करने से पहले कमेंट बोक्स में जे श्री राम अवश्य लिखना
तो सुरू करते हैं बगवान श्री राम और सबरी की कहानी
बोलो मर्यादा पुर्चोतम भगवान श्रीराम की जेहो
सबरी अपने पुरव जनम में एक राणी थी
और उनका नाम था परमहिंसी
एक बार कुंब के मेले में परमहिंसी राणी और राजा दोनों साथ में मेले में गए थे
राजा का वहाँ पर सिविर था
एक दिन राणी कमरे की खिड़की से बाहर देख रही थी
तो अचानक उसका ध्यान रिश्यों का एक समूह था उसकी ओर गया
वो रिशी उस समय हवन कर रहे थे और साथ में बड़े-बड़े मंत्रों का उच्चरन भी कर रहे थे
राणी परमहिंसी का मन हुआ कि वो भी उस हवन में जाए
तो राणी ने राजा से कहा कि मैं उस हवन में जाना चाहती हूँ आप मुझे आग्या दे
लेकिन राजा ने कहा कि आप राणी है और इस तरह से रिश्यों के पास बैठना आपको सोबा नहीं देता
तो आप उन रिश्यों के बीच में नहीं जा सकती
तो यह सुनकर परमहिंसी राणी अपनी कमरे में जाकर रोने लगी और रोते रोते सो गई
आधी रात को राणी की नींद खुल गई नींद खुलते ही उसे वो रिश्य और हवन फिर से याद आने लगा
तो वह अपने कक्षे निकल कर तिर्वेणी तट पर गई और वहां जाकर गंगा मां से यासना करने लगी कि हे मादे
अगर मुझे दूसरा जनम मिले तो रूपवान और राणी कभी मत बनाना मैं तो आप में समाना चाहती हूँ
इतना कहकर राणी परमहिंसी अपनी देह त्याग देती है और जन समाधी ले लेती है और अपना दूसरा जनम सबरी के रूप में एक भील के गर लेती है
जो इसी कारण से ना रूपवान थी और ना ही राजगराने की थी
जब सबरी का जनम होता है उस समय भगवान श्रीराम का तो जनम भी नहीं हुआ होता
बील जाती के एक कभीले के जिसकी राजा थे अज के घर में एक कन्या का जनम होता है जिसका नाम सर्मना रखा जाता है
सर्मना का ही दूसरा नाम सबरी था
सबरी की माता का नाम इंदूमती था
इसी तरह रानी परम हिसी का दूसरा जनम सबरी के रूप में होता है
सबरी बच्चपन से ही पक्षियों के साथ आलोकिक बातें किया करती थी
जिसे सुनकर सारे लोग अस्ट्रे करते थी
धीरे धीरे सबरी बड़ी होती गई
लेकिन सब्री की कुछ हरकतें अज और इंदुमती की समझ से बाहर थी
समय रहते सब्री के बारे में उसके माता पीता ने किसी ब्रहमण से पूछा था
कि यह विरग्य की बातें क्यों करती रहती है
तो ब्रह्मन ने सला दी कि इसका विवहा जल्दी से जल्दी करुआ दो
तो सबरी के माता-पिता ने उसका रिस्ता त्याई कर दिया
और उसके विवहा की तैयारियां करने लगे
विवाह से दो दिन पहले बाड़े में खूब भेड बकरियां इकठे किये थे
क्योंकि भील जाती में शादी उत्सव के मोकों पर
मास मधिरा का परियोग जादा से जादा किया जाता है
जब बाड़े में भूब सारे भेड बकरियों को इकठा किया
तो उस समय इंदुमती सबरी के बाल बना रही थी
तो सबरी ने पूछा कि मा हमारे बाड़े में इतने पसू क्यों है
तो उसकी मा ने कहा कि ये तुम्हारे विवाह की दावत के लिए है
तुम्हारे विवाह के दिन इन पसूं की बली से विशाल भोज तयार किया जाएगा
तो सबरी को यह बात ठीक नहीं लगी
उसने सोचा कि मेरे विवाह के लिए इतने जीवों का बली दान होगा
ये बली दान तो मैं नहीं होने दूँगी
अगर विवाह के लिए इतने जीवों की अगर बली दी जाएगी
तो मैं विवाह भी नहीं करूँगी
तो सबरी आधी रात को उन पसू पक्षियों को आजाद करने के लिए बाड़े के किवार खोल रही थी
तभी कोई वहां पर आ गया और सबरी इस बात से डर गई
तो वह डरती हुई वहां से भाग निकली और वहां से भागते भागते रिशी मुक परवत पर पहंच गई
तो सबरी छुपते छुपते कई दिनों तक वहां पर रही रोज सवेरे रिशीयों की आश्रम में आने वाले पत्तों को साफ कर देती
और हवन के लिए सुखी लकडियों का बंदोबस्त भी कर देती
बड़ी ही सर्धा भाव से सबरी लकडियों को रिशीयों के हवन खुंड के पास रख देती
कुछ दिनों तक तो वो रिशी समझ नहीं पाए कि कौन है जो उनके सारे काम नित्य नियम से निप्टा देता है
कहीं कोई माया तो नहीं है
जब अगले दिन रिशीयों ने जल्दी सवेरे उठ कर देखा तो सबरी को पकड़ लिया
और कहा कि तुम कौन हो इस तरहें चोरी छुपे हमारे काम क्यों करती हो
तो सबरी ने बताया कि वह एक भिलनी है
तो जैसे ही रिशीयों को पता चला कि भिलनी तो निच जाती की होती है
तो उसको पकड़ कर ताड़ने लगे
तभी उन रिशीयों के बीच में एक रिशी था उसका नाम था मतंग
मतंग रिशी ने सबरी को उन रिशीयों से बचाया और उसको अपनी बेटी कहे कर
एक कुटिया में सरन दे दी
और सेवा करने को कहा
और समय के साथ सबरी को सारी शिक्षिया दिख्षा दी
ऐसा करते करते इस समय बीठता गया
एक दिन मतंग रीशी ने कहा
कि अब मैं अपनी देह छोड़ना चाहता हूँ
जब यह बात सबरी ने सुनी
तो सबरी ने रोते हुए कहा
कि मैं अपने पिता को पीछे छोड़ कर आई हूँ
और आज आप मुझे छोड़ कर जा रही हैं
अब तो आप ही मेरे पिता हैं
अगर आप मुझे छोड़ कर चले जाएंगे
तो मेरा ख्याल कौन रखेगा
तो मतंग रीशी ने कहा
कि बेटी तुम्हारा ख्याल अब भगवान श्री राम रखेंगे
तो सबरी बड़ी सरलता से कहती है
कि राम कौन है और मैं उन्हें कहा ढूंढूंगी
तो मतंग रीशी कहते हैं कि
बेटी तुम्हें उन्हें खोजने की जरूरत नहीं है
तुम अपनी पूजा पाठ करते रहना
वो श्यम तुम्हारी कुटिया पर चल कर आएंगे
इतना कहे कर मतंग रीशी ने अपनी देह त्याग दी
तो सबरी ने मतंग रीशी के इस वचन को पकड़ लिया
कि राम आएंगे
अब हर रोज सबरी भगवान शिरी राम के लिए फूल विच्छा कर रखती
और उनके लिए फल तोड़ कर लाती
और पूरा दिन भगवान शिरी राम का इंतजार करती
इंतजार करते करते सबरी बुड़ी हो गई थी
लेकिन राम तो अभी तक नहीं आए
फिर एक दिन आ ही गया जब सबरी के वर्सों का इंतजार खतम होने वाला था
सबरी ने उस दिन भी फूल विचा कर रखे थे
और आते जाते लोगों को मना कर रही थी कि इन फूलों पर मत चलो
इन पर तो भगवान शिरीराम चलेंगे
उस दिन सबरी भगवान शिरी राम के लिए बेर तोड़ कर लाई थी
और ये सोच कर कि कहीं ये बेर खटे तो नहीं है
तो सारे बेर को चक चक कर उनको जुठे करके रख दिये
उधर भगवान शिरी राम और लक्षमण सिता मया को ढूंड रहे थे
तो वो ढूंड ते डूंड ते उन्हें प्यास लग गई तो एक स्रोवर पर पानी पीने के लिए पहुंचे
जैसे ही वो पानी पीने लगे तो रीशियों ने कहा कि इस स्रोवर का पानी मत यहां पानी शूत नहीं है
एक अच्छूत नारी इस तालाब से पानी पीती है
इसलिए यहां का जल भी अच्छूत हो गया है
इसके बाद भगवान श्री राम ने उन रिश्यों को खूब डांडा
और कहा कि नारी इंसान को जनम देती है
तो वो अच्छूत कैसे हो सकती है
इस बर्मांड की कोई भी नारी अच्छूत नहीं हो सकती
तो भगवान श्री राम ने उनसे उस नारी का पता पूछा
तो रिश्यों ने सबरी की कुटिया का पता बता दिया
जैसे ही राम और लक्ष्मण सबरी की कुटिया की तरक चले
तो जैसे ही सबरी को पता चला कि दो यूवक उसे ढूंढ रही हैं तो वो समझ गई कि ये और कोई नहीं उसके परभू श्री राम हैं
लेकिन तब तक सबरी वरिद हो चली थी
लेकिन भगवान श्री राम के आने की खबर से सबरी में बहुत ही उर्जा और उत्सहा आ गया
भरवो श्री राम को अपने आसरम की ओर आता देख कर सबरी को बहुत ही परशंता हुई
शबरी ने भगवान श्री राम के चरणों को धो कर बड़े ही परशंता के साथ अपनी कुटिया में बैठाया और फिर अपने जुठे किये हुए जो बैर थे वो लेकर भगवान श्री राम के पास आई और खाने को कहा तो भगवान श्री राम ने उन बैरों को बड़े ही प्
परभु श्री राम ने कहा कि कहे रगुपती सुन भहमिनी बाता
मानू एक भगती करना था
परभु श्री राम ने सबरी को भहमिनी कहे कर सम्बोधित किया था
जिसका अर्थ होता है अत्यंत आदरणिय नारी
बेरखाने के बाद पर्बू श्री राम ने सबरी से कहा की अदर्णिय नारी मैं केवल प्रेम के रिष्टे को मानता हूँ
तुम कोन हो किस परिवार में बैदा हुई हो और कहा से आई हो तुम्हारी जाती क्या है
यहां तुम्हारे प्रेम के सामने कोई माइने नहीं रखती
तुम्हारा मेरे परती सच्चा प्रेम और आस्ता ही मुझे तुम्हारे घर तक लेकर आई है
यहां सुनकर सबरी बहुत ही खुश हुई
और बाद में शबरी ने भगवान शरीराम से अपनी देह त्यागने की इच्छा जताई
कहा कि परबु मैं अपनी देह का त्याग करना चाहती हूं
तो राम ने आशिरुवात दिया और कहा जाता है कि शबरी ने उनके सामने ही अपने सरीर का त्याग कर दिया था
तो ये थी भगवान श्री राम और सबरी की कहानी आपको कैसी लगी कमेंट बोक्स में अवश्य बताना और मीरा मक्ती चैनल को सस्क्राइब करना ना भूलना आपका बहुत बहुत धन्यवाद जैस्री कृष्णा राधी राधी

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