Santoshi Mata Ki Katha

🧑‍🎤: Devesh Kundan

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📂: Thể Loại Khác

⏱: 00:00:00 AM 29/11/2025

जैमा संतोषि
प्रिये भक्तों
आज हम आपको माता संतोषि की पावन कथा
सुनाने जा रहे हैं
शुक्रवार के दिन मा के नाम का वरत पूजन किया जाता है
इस पूजा के दोरान माता की पूजा अरचना की जाती है
एवं कथा सुनी जाती है
और अंत में मा की आर्थी गाई जाती है
जैमा संतोषि
हम संतोषी माता की पावन कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
शुक्रवार के वरत की पावन महिमा गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
माता के दर से ना कोई खाली जाते हैं
ना खाली जाते हैं
हम सन्तोषी माता की तुमें कथा सुनाते हैं
हम गाथा गाते हैं
जय संतोषी माता!!
भद्धों की भाग्य विपाता हो
भदों किई भाग्य विपाता
जय संतोषी माता!!!
प्राचीन काल की बात है एक गाउं में एक बुढिया रहती थी
उसके साथ बेटे थे छे कमाने वाले थे जबकि एक निकम्मा था
बुढिया छहो बेटों की रसोई बड़े प्यार से बनाती थी भोजन
कराती थी और उनसे जो कुछ जूथन बचता वह अपने साथवे बेटे
साथवे पुत्र थे छे तो रहे कमाई
साथवे पुत्र तो काम न करता घूमे खाए सोजाई
घूमे खाए सोजाई
छे पुत्रों का भुडिया प्रेम से रोज रसोई बनाई
सबका जूथन साथवे बेटे को बुढिया दिखिलाई
उसको बढ़िया दिखिलाई
साथवे बेटा पत्नी से बोला करती मा मुझे प्यार
सबसे अधिक छोटे बेटे को मा करती है दुलार
मा करती है दुलार
बहु बोली सबका जूथन वो तुझे खिलाती है
मुझसे भी तो सारा दिन वो काम कराती है
जूथ नहीं ये सत्य बात हम तुम्हें बताते हैं हम सन्तोषी
माता की तुम्हें कथा सुनाते हैं हम गाता गाते हैं
जैसंटोषी माता दद्धों की भागे विधाता जैसंटोषी माता
पतनी की बातों पर उसे यकीन नहीं होता उसको लगता है
उसकी पतनी नहीं चाहती कि वो अपनी मां के इज़द करें
मा और बेटे के बीच में दिवार बनाना चाहती है
क्योंकि माने उसे जन्म दिया
भाला एक मा अपने बेटे के साथ ऐसा क्यूं करेगी
जिसे उसने स्वेम ही जन्म दिया
उसे अपनी मा के प्यार पर सबसे अधिक यकीन था
कि मा उसे सबसे अधिक प्यार करती है
मगर सच्चाई इसके बिल्कुल उलड़ थी
रसोई घर में सोया लड़का मुझ पे चादर डाल
देख रहा बुढिया कर रसोई घर में सारा हाल
रसोई घर में सारा हाल
छे पुत्रों को सुन्दर वेंजन बुढिया खूब खिलाए
छाहों की जूटन उसके सामन थाल में लेकर आए
थाल में लेकर आए
मा से बोला भूख
नहीं है भोजन ले जाओ
जा रहा हूँ परदेश कमाने तुम ही भोजन खाओ
कहते हुए घर से निकला वो करके पूरी तयारी गोशाला
में कंड ताप रही थी उसकी नारी थी उसकी नारी
पत्तमी से बोला पती तो तुमने सत्य बताए हैं तुमने सत्य बताए हैं
हम सन्तोषी माता की तुम्हे कथा सुनाते हैं हम गाता गाते हैं
जै सन्तोषी माता दग्डों की भागविदाता दग्डों की भागविदाता
जै सन्तोषी माता
किस्मत को जो मनजूर था वही हुआ जूट का परदा हट
चुका था और सच्चाई बे नकाब होकर सामने खड़े थी
अब बेटे के पास घर छोड़ने के अलवा कोई विकल्प नहीं बचा
अब वो अपने आत्मसम्मान के लिए जीना चाहता था
वो चाहता था कि उसकी इज़ज़त हो उसकी पत्नी की इज़ज़त हो
लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे
और गरीब की कोई इज़ज़त नहीं होता
गरीब की कोई भावना नहीं होती है
जाते समय पुछ देतो निशानी रखू मैं जिसको याद
पीट पे हाथ से देती निशानी गोबर की एक छाप
गोबर की एक छाप
पत्नी को दिया अपनी अंगूटी हाथों से निकाल
बोला मैं परदेश जा रहा रखना अपना ख्याल
रखना अपना ख्याल
चलते चलते दूर देश में सपना हुआ साकार
शहर में एक दुकान चलाते मिला है साहुकार
साहुकार से बोला नोकरी करने दूर से आया
साहुकार ने दिया नोकरी लड़का हरशाया
साहुकार और लड़का दोन दुकान चलाते हैं
हम संतोषी माता की तुम्हें गाथा सुनाते हैं हम गाथा गाते हैं
जै संतोषी माता दक्तों की भागविधाता जै संतोषी माता
जिव आदमी करना चाहे तो क्या नहीं हो सकता
यही हुआ लड़का नोकरी की तलाश में शहर पहुचा
और उसके मुलाकात एक व्यापारी से हो गई
व्यापारी को भी नोकर की आवशक्ता थी
उसने उस लड़के को अपने यहां काम पर रख लिया
ने पूछा सेट से नोकर क्या दोगे तुम दाम
सेट ने बोला दाम दूँगा जैसा हो तेरा काम
कुछ दिन में लड़के की मेहनत है रंग लाई
साहुकार को होने लगी है अच्छी कमाई
साहुकार के सब नोकर में था ये बड़ा होशियार
काम देख लड़के को बनाया सेट ने समझदार
दिन रात चौंगूना उसका बढ़ने लगा व्यापार
बारह वर्ष में नामी सेट बना फैला कारूबार
सेट और लड़का दोनों धन्वान हो जाते हैं
हम संतोशी माता की तुम्हें कथा सुनाते हैं
हम गाता गाते हैं
जैसंदोशी माता दद्धों की भाग्य विधाता
दद्धों की भाग्य विधाता जैसंदोशी माता
दूसरी और उसकी पत्मी को उसके घरवाले दुख देने लग गए
सारे घर का काम करा कर उसे लकड़ी लेने के लिए जंगल भेज देते
इसी बीच घर के आटे से जो भुशी निगलती उसकी रोटी बना कर रख दी जाती
और नारियल के खुपड़े में पीने के लिए पानी रख दिया जाता
एक दिन वह लकड़ी लेने जाही रही थी
ति रास्ते में उसने बहुत सी इस्त्रियों
को संतोशी माता का वर्ड करते निखा
इधर बहू पे क्या बीटी मैं सुना रहा हूं हाल
जंगल जातर लकड़ी काटे उसका था बुरा हाल
उसका था बुरा हाल
उसका था बुरा हाल उसका था बुरा हाल
उसका था बुरा हाल उसका था बुरा हाल
उसका था बुरा हाल उसका था बुरा हाल उसका था बुरा हाल
आप ही उसके कदम वहाँ रुक जाते हैं
वहाँ रुक जाते हैं
हम सन्तोशी माता की तुम्हे कथा सुनाते हैं
हम गाता गाते हैं
जै सन्तोशी माता
धक्तों की भागे विधाता
धक्तों की भागे विधाता
जै सन्तोशी माता
एक दिन जब उसकी पत्मी जंगल से लकडी काट कर आ रही थी
तो उसने देखा कि बहुत सी महिलाएं वहाँ किसी की पूजा की तयारी कर रही हैं
वो भी वहाँ खड़ी हो गई और उनकी कथा को ध्यान पूरवक सुनने लग गई
तभी उसने वहाँ खड़ी एक महिला से कहा बेहन आप लोग किन की पूजा
कर रहे हैं और उनकी पूजा से क्या होता है कृपया हमें भी बताएं
लकडी के गठर को उसने सर से दिया उतार
संतोशी माता की कथा सुनने का किया विचार
बोली आउर्टों से वो जाकर व्रत कैसे किया जाता
इस व्रत को करने वाला है कैसा फल पाता
क्या है व्रत करने के विदी मुझे को भी बताओ उपाई
मेरा दुख भी दूर हो जाये
मुझे को समझा कर के बताओ होगा बड़ा एहसान
मैं नहीं जानूँ व्रत करने का कोई विदी विधाओ
मैं अबोधु मुझे को तो कुछ भी समझ ना आते हैं
ये समझ न पाते हैं हम संतोषी माता की
तुम्हे कथा सुनाते हैं हम गाता गाते हैं
जैसंतोषी माता भगों की भाग विधाता जैसंतोषी माता
उसकी बातों को सुनकर उस महिला ने कहा हे
बहन हम माता संतोषी का व्रत कर रही हैं
माता संतोषी संसार के समस्त वैभवों को प्रदान करने वाली हैं
उनकी कृपा से ही हमारे जीवन की सभी समस्याओं के समाप्ती हुई
आप भी इनकी पूजा करो और समस्त भावतिक सुखों के
साथ साथ आध्यात्मिक सुखों की भी प्राप्ती करो
एक नर्भोली मा संतोषी का व्रत है बड़ा महान
वाजन को दे ऊतमा निर्धन को करती धन्वान
मा का व्रत करने से घर में हो लक्षमी का
वास परदेशी पत्ति वापस आता है पत्नी के पास
कुबारी कन्या व्रत कर दो मन चाहा वर मिलता है
मा की कृपा के बिना कोई ना पत्ता हिलता है
घर में सुक समपती आती है चाती है खुशभाली
घर में धन की वर्षा करती चार बुजाओ वाली
चार बुजाओ वाली
रोग दूर होता है मुकदमें खत्म हो जाते हैं
मुकदमें खत्म हो जाते हैं
हम संतोशी माता की तुम्हें कथा सुनाते हैं
हम गाता गाते हैं
जैसंतोशी माता भगतों की भाग्य विधाता
भगतों की भाग्य विधाता जैसंतोशी माता
लड़के की पत्नी ने कहा बहन आपने वरत के लाब बता दिये
परन्तु इसकी विधी नहीं बताई कृपया बताए।
जिससे मैं इस वरत को करूं और अपने पती
सहिट समस्त सुक्षैन का आननं ले सकूं।
वरत का तुमने फल बताया विधी भी बतलाो
मां का वरत कैसे करूं ये विधिवत समझाो
ये विद्योत समझाओ
सवा आने या सवा पैस का ले लेना प्रहसार
शुक्ष्प्रभार को कथा कहना रहकर तुम निरहार
रहकर तुम निरहार
दीच में क्रम ये तूट न जाये रखना इसका ध्यान
कथा सुनने वाला न मिले तो जल पात्र को ही
रखना घी का दीप जला कर मा की कथा क करो वखान
शदा भाव से मा की पूजा और करो तुम ध्यान
अल पूरा होते ही सब उद्यापन करते ही
हम संदोषी माता की तुम्हे कथा सुनाते हैं
हम गाता गाते हैं
जैसंदोषी माता भगतों की भाग्य
विधाता
जैसंदोषी माता
सवा आने का गुड़ चना लेना सवा रुपय का भी सहूल लेना
सवा रुपय का भी सहूलियत के अनुसार लाना
बिना परिशानी और सधाव प्रेम से जितना भी बन पड़े लेना
परतेक शुक्रवार को निरहार रहकर कथा सुनना
इसके बीच क्रम तूटना नहीं चाहिए
लगातार नियमों का पालं करना
सुनने वाला अगर कोई ना मिले तो घी का दीप
जला कर उसके आगे जल का पातर रखना और कथा कहना
जद तक कारे सिद्ध नहूं नियम का पालं करना और
कारे सिद्ध हो जाने पर वरत का उद्यापन अवश्य करना
उद्यापन में पूरी खीर और चने का साग बनाना
आट पडोसीयों के लड़कों को अपने घर पे बुलाना
यता शक्ति तुम दक्षि न देना भोजन उन्हें
कराना घर में कोई न खाय खटाई सब को ये समझाना
यह सुन करके लकड़ी बेचने बाजार वो आई
लकड़ी बेचकर उड़ चना वो खरीद कर संगलाई
संतोसी मा के मंदिर में शुक्रवार को आई
और ओने लगी प्रहसाद चुड़ा के रक्षा करो मेरी माई
रक्षा करो मेरी माई
सुना है तेरी शरणों में सब दुख कट जाते हैं
सब के दुख कट जाते हैं
हम संतोसी माता की तुम्हें कथा सुनाते हैं
हम गाता गाते हैं
जै संतोसी माता दधों की भाग विधाता
दधों की भाग विधाता जै संतोसी माता
तीसरा सुक्रवार बीट्दे बीट्दे संतोसी
माता के कृपा उसके उपर होनी शरू होगी
माने उसकी अरजी मन्जूर कर ली और उसके घर डाकिया उसके पती
का पैसा लेकर आ गया और घर के सभी लोग यह देख कर चिरने लगे
तीसर
शुक्रवार बीट्दे डाकिया घर पे आया
उसके पती का भेजा पैसा संग अपने बोलाया
जेथानी मुह लगी सिकोड न लड़के मारे ताना
बोहूने कर दिया शुरू संतोसी मादर आना जाना
बोली संतोसी मासे मुझे पैसो से क्या काम
मेरा पती घर कब आएगा कहती सुभ हो शाम
माता संतोसी बोली पती तिरा शिगर ही आएगा
जाट कर याद दिलाऊँगी ना देर लगाएगा
माता संतोसी सपने में पती के आती हैं पती को सपने आते हैं
हम संतोसी माता की तुम्हे कथा सुनाते हैं हम गाथा गाते हैं
जैसंदोषी माता दग्गों की भागे विदाता
जैसंदोषी माता
जैसंदोषी माता
पती के पैसे से नहीं पती से प्यार था पत्नी ने माँ से कहा
माँ पैसे का सुक तो तब हैं जब मेरे साथ मेरा पती हो
जब मेरा पती मेरे साथ नहीं है तो पैसे का क्या करना
अतः हे माँ मेरे पती को मेरे पास मेरे घहर भेज़ दूँ
जिससे में अपने पती के साथ आपकी पूजा कर सकाँ
माता
बोली सपने में तुम अपने घर को जाओ
बहुत कस्त सह रही बेचारी उसको अपनाओ
उसको बहुत ही कस्त दे रहा है तेरा परिवार
कैसे जाओ घर अपने मा मैं हूँ बड़ा लाचार
माता कहने लगी पुत्र दो अपने घर पर ध्यान
ढीप जलाओ घीके और कर तुम मेरा गुणगान
घर में मा का ध्यान करो और खोल जा अपनी
दुकान अपने आप समस्चा का तेरी हो जाए समधान
हो जाए समधान
माता अपने भगतों पर किरपा बरसाती हैं
किरपा बरसाती हैं
हम सन्तोषी माता की तुम्हे कथा सुनाते हैं
हम गाथा गाते हैं
जै सन्तोषी माता धक्तों की भाग विधाता
धक्तों की भाग
विधाता जै
सन्तोषी माता
बुडी औरत के रूप में मां उसकी दुकान पर जाकर कहने लगे
कि अरे तेरा घर परिवार है की नहीं तु यहीं
पड़ा रहता है कभी अपने घर को जाता नहीं
लड़के ने कहा मा घर है घरवाली भी है लेकिन लेन
देन बहुत है क्या करो मा ने कहा बीटा चिंता न कर
कल सुबह सुबह असनान ध्यान करना और मा
संतोशी के नाम का एक घी का दिया जलाना
तुम्हारा सारा काम हो जाएगा सारा लेन देन चुक जाएगा और तुम्हारा
सारा माल भी बिक जाएगा जिससे तुम्हें काफ़ी धन की प्राप्ती होगी
अगले ही दिन पती आ गया पत्मी हुई निहाल
अलग हो गया पत्मी ले जब जाना घर का हाल
जब जाना घर का हाल मा के व्रत का किया उध्यापन सब को खुब खिलाया
जलन से जेटानी का लड़का उस दिन खटा खाया
बाची पड़ गई उल्टी
क्रोधित हुई संतोसी माता
संतोसी माता के कोप से कोई नहीं बच पाता
हराजा के सैनिक पकड़ के उसके पती को डाले जेल
मंदिर में जाकर भोली मा किस का है ये खेल
मा किस का है ये खेल
सुनना है कैदी भी तेरे वरत से छूट जाते हैं
जेल से बाहर आते हैं
हम संतोसी माता की तुम्हें कथा सुनाते हैं
हम गाता गाते हैं
जैहनों शी माता
बद्धों की बादि विदाता
उसका पती अपने घर वापस आ गया
उसके पती ने अपनी मा का विवहार देखा
सब समझ गया उस दे अपना सारा सामान लिया
और अपने माबाप से अलग एक कमरा खोल कर रहने लग गया
सारा सामान जो वो लेकर आया था उसने अपने घर में भर दिया
ये देख जेट और जेथानी उससे जलने लग गये
अगले दिन बहु ने उद्यापन किया और प्रसाद
भोजन पर अपने जेथ के लड़कों को बुलाया
तो उसकी मा ने अपने बच्चों को सिखा दिया कि
तुम लोग खीर खाने के बाद खटा जरूर माँगना
फिर क्या होता है आए ये कथा के माध्यम से जानते हैं
उस दिन खाई खटाई
फिर से कराओ
उद्यापन पत्थि छूट के आएगा
वरत जो मांगा करे मेरा वो फल नहीं पाएगा
सुनकर बातें बहु ने उद्यापन फिर से करवाई
सपन में मेरा आएगा छूड दिया पत्ति को राजा फिर पत्तिनी हुई प्रहसन
सन्तोसी माता की कृपा से धन से हुए संपन
धन से हुए संपन पत्ति पत्तिनी माता के जैकारे लगाते हैं
मा की बंदना वो गाते हैं
हम संतोसी माता की तुम्हें कथा सुनाते हैं हम गाता गाते हैं
जैसंतोसी माता दधों की भागविधाता जैसंतोसी माता

XEM TOÀN BỘ
Shri Ram Janam Katha
🎧 : 0 | ⏱: 29:10
🧑: Devesh Kundan

Shri Adinath Katha
🎧 : 0 | ⏱: 17:39
🧑: Rinky Vishwakarma, Devesh Kundan

Shri Suparshwanath Ki Katha
🎧 : 0 | ⏱: 13:55
🧑: Rinky Vishwakarma, Devesh Kundan

Shri Kashi Vishwanath Jyotirlinga Katha
🎧 : 0 | ⏱: 15:50
🧑: Devesh Kundan

Sumatinath Bhagwan Ki Katha
🎧 : 0 | ⏱: 15:12
🧑: Rinky Vishwakarma, Devesh Kundan

Namaste Sada Vatsale Matribhume
🎧 : 0 | ⏱: 3:28
🧑: Devesh Kundan

Aao Ji Sanwariya Aao
🎧 : 0 | ⏱: 4:55
🧑: Devesh Kundan

Duniya Se Thokar
🎧 : 0 | ⏱: 5:36
🧑: Devesh Kundan

Mujhe Akela Chhod Ke Gaura
🎧 : 0 | ⏱: 4:37
🧑: Devesh Kundan

Sanwariya Se Mujhe Mila De
🎧 : 0 | ⏱: 4:42
🧑: Soniya Sagar, Devesh Kundan

Putrada Ekadashi Katha
🎧 : 0 | ⏱: 12:18
🧑: Devesh Kundan

Santoshi Mata Ki Katha
🎧 : 0 | ⏱: 30:00
🧑: Devesh Kundan

Safla Ekadashi Katha
🎧 : 0 | ⏱: 15:14
🧑: Devesh Kundan

Shani Chalisa
🎧 : 0 | ⏱: 4:38
🧑: Devesh Kundan

Shyam Ardaas
🎧 : 0 | ⏱: 2:45
🧑: Devesh Kundan

Dam Dam Baja De Damru
🎧 : 0 | ⏱: 3:56
🧑: Soniya Sagar, Devesh Kundan

Bhole Ghar Banwa Dije
🎧 : 0 | ⏱: 3:52
🧑: Soniya Sagar, Devesh Kundan

Jo Tum Mujhse Byah Karogi
🎧 : 0 | ⏱: 3:52
🧑: Devesh Kundan

Bhole Bhangiya Tumhari Ban Gayi Soutaniya
🎧 : 0 | ⏱: 3:18
🧑: Soniya Sagar, Devesh Kundan

Dharmendra Alvida
🎧 : 0 | ⏱: 5:21
🧑: Devesh Kundan

Umar Sab Dhokhe Mein Khoye Diyo Re
🎧 : 0 | ⏱: 6:42
🧑: Devesh Kundan

Surya Chalisa
🎧 : 0 | ⏱: 4:11
🧑: Devesh Kundan

Mokshada Ekadashi Katha
🎧 : 0 | ⏱: 15:38
🧑: Devesh Kundan

Shyam Aa Jao Kurukshetra Mein
🎧 : 0 | ⏱: 4:50
🧑: Devesh Kundan

Annapurna Katha
🎧 : 0 | ⏱: 29:35
🧑: Devesh Kundan

Dattatreya Ji Ki Katha
🎧 : 0 | ⏱: 14:38
🧑: Devesh Kundan

Ye Haal Na Apna Tha
🎧 : 0 | ⏱: 8:59
🧑: Devesh Kundan

Desh Bhar Mein Kamal Khil Raha Hai
🎧 : 0 | ⏱: 4:49
🧑: Devesh Kundan

Pradosh Vrat Ki Katha
🎧 : 0 | ⏱: 23:49
🧑: Devesh Kundan

Utpanna Ekadashi Ki Katha
🎧 : 0 | ⏱: 15:29
🧑: Devesh Kundan